सारा खेल ही भोंपू का है

नशे की हालत में गाड़ी मत चलाओ। होश के बिना ट्वीट मत करो। सुबह-सुबह चार ट्वीट क्या कर दिये कि सिर मुंडाना पड़ गया सोनू निगम को। अपने ही घर में। अपने ही नाई आलिम हकीम से। वो भी मीडिया के सामने। कलकत्ता के एक मौलवी की दिली चाहत थी। लेकिन फतवा देकर मुकर गया पट्ठा। उसे टीवी पर आना था। काम हुआ और खिसक लिया। यही तो कमजोरी है टीवी की। कोई भी लटक लेता है चलती गाड़ी में। 

तब सोनू के लंबे बाल होते थे। कुछ साल पहले। उनके  एक गीत का वीडियो शूट होना था। लद्दाख की नुबरा वैली में। इच्छापूर्ति गायित्री मंत्र के लिए। वीकॉन म्यूजिक की मनीषा डे ने फोन किया। लद्दाखी बच्चे चाहिए थे। मेरे अनुरोध पर महाबोधि स्कूल की बच्चियों को भेजा गया। लोबजांग विसुद्दा लेकर गये एक बस में। लेह में ट्रेवल प्लानर और नेचर फोटोग्राफर हैं। अच्छे से शूटिंग हुई। मैंने चंडीगढ़ से ही फोन पर सारा जुगाड़ किया था। सोनू को भी एसएमएस भेज कर गाइड किया। किधर जाना है, किधर मुडऩा है। इस तरह वे भिक्खू संघसेना से मिल पाये। 

कुछ लोग तडक़े चार बजे ढोलकी-मंजीरे लेकर निकलते हैं चंडीगढ़ में। बड़ा सुकून मिलता है मॉर्निंग कीर्तन से। कोई पूजा होती है यह और समूह गाते-बजाते गुरुद्वारे पहुंचता है। बदायूं में दूर से लाउड स्पीकर पर मंत्र सुनाई देते थे। सुबह-सुबह। पता नहीं वो संस्कृत थी या कोई दक्षिण भारतीय भाषा। बचपन की बात है। वहीं मम्मन चौक पर हमारे घर के दायें मस्जिद थी, और बायें मंदिर। दोनों पर लाउड स्पीकर बजते थे। सडक़ पर राम की बारात, काली माता का जुलूस, नानक देव का जुलूस, ताजिये वगैरह न जाने क्या क्या जलसे निकलते थे। मिशन स्कूल में पहला पीरियड बाइबल का होता था। अपुन तो ऐसे खिचड़ी माहौल में बड़े हुए हैं। 'सर्व धर्म सम भाव' वाले संस्कार मिले। 

अब ऋषिकेश जाता हूं तो घंटे घडिय़ालों की आवाजें और गंगा आरती के सुर सुहाने लगते हैं। बचपन में ज्यारत पर ऊर्जा और जोश से भरी कव्वाली अच्छी लगती थी। अब बौद्ध मठों में "ओम मने पद्मे हुन" मंत्र सुनना भाता है। गुरद्वारे से निकलता गुरबानी का पाठ भी सुकून देता है। भारत विविधता और बहु संस्कृतियों का देश है। यहां का हर रंग अच्छा है। हर धर्म अच्छा है। बस लाउड स्पीकर का अधिक इस्तेमाल न हो। आवासीय इलाकों में खास ध्यान रखना चाहिए कि शोर कम से कम हो। दूसरों को परेशानी कम से कम हो। सब मिल कर रहें। एक दूसरे का सम्मान करें। तभी आनंद का माहौल रहेगा। वही स्थिति सुखद होगी। फिर न कोई मौलवी सिर पीटेगा, न किसी को सिर मुंडाना पड़ेगा। धार्मिक मामलों में गैर जरूरी हस्तक्षेप उचित नहीं। 

Contact: Narvijay Yadav, Email: narvijayindia@gmail.com, 

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