संदेश

सितंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कविता : लॉकडाउन के पहाड़

चित्र
  चलो कहीं फिर दूर चलें,  रेतीले सागर के ऊपर, पथरीले मंजर पर ढूंढें,  कुछ सपने , शांति सरीखे हम। उन पर्वत शिखरों से मिलने,  फिर भाग चलें , फिर दौड़ चलें, उन अनदेखे विस्तारों से,  फिर आंख - मिचौली कर लें हम। उस सतरंगी से पानी की,  वो झील बुलाती है अक्सर उत्तुंग हिमालय की चोटी,  से नाता जोड़ें चलके हम। अब मत रोको , रोकोना तुम,  हमको कोरोना रोको ना को को रो रो, कोरोना तु्म,  जाने दो , नहीं रुकेंगे हम। - नरविजय यादव

चार महीने हो गये। बाहर की दुनिया से कटे हुए। आज तो शहर में गेड़ी ही लगा डाली।

चित्र
चार महीने हो गये। बाहर की दुनिया से कटे हुए। शुरू का एक माह तो ऐसा रहा कि दिन और रात का ही पता नहीं चलता था। दूसरे महीने खिड़की से तनिक धूप दिखी और बिल्डिंग का एक रूखा सा हिस्सा। उसे ही देर तक निहारता रहा था। चलना तो छोड़िए, बैठना ही एक सपना था। ग्यारह बार मूवमेंट हुआ, लेकिन स्ट्रेचर पर लेटे-लेटे। घर आने के बाद भी बैड से हिलना मुश्किल था। पिछले कुछ हफ्तों में हालात सुधरे। आज तो शहर में गेड़ी ही लगा डाली। माउंट व्यू के सामने काॅफी पी। लेक देखी। सड़कों से गुजरते हुए ऐसा लगा मानो वृक्षों और हरियाली के बीच तैरते हुए जा रहे हों। यही तो विशेषता है चंडीगढ़ की। वैक्सीन लगवाने के बाद खुशबू ने कहा, "डैडी मौसम तो गेड़ी का हो रहा है, चलें?" मेरे मौन को ही मेरी स्वीकृति मान बेटी ने कार सुखना की ओर घुमा दी। लगा ही नहीं कि कई माह के बाद घूम रहा हूं। शरीर स्वस्थ हो रहा है। मन तो वैसे भी हमेशा उल्लास से भरा रहता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि सबका जीवन हंसी-खुशी से भरा रहे! भारत खुशहाल रहे! जीव-जंतु स्वच्छंद घूमें, जिएं! अफगानिस्तान में हालात सुधरें, अमन कायम हो! - नरविजय यादव

डैडी, ये वायरस दिमाग पर असर डालता है। यह एक माइंड गेम है और इसमें आपको जीतना है।

चित्र
कोविड ने मेरे फेफड़े 98 प्रतिशत तक डेमेज कर दिये थे, जिसका मेडिकल कॉलेज, चंडीगढ़-32 के मेन आईसीयू में लंबा इलाज चला, तीन महीने तक ऑक्सीजन लगी रही, तब जान बच पायी। पूरे समय सबको यही चिंता रहती थी कि ऑक्सीजन का लेवल ठीक है या नहीं। पूरा इलाज बेटी खुशबू की देखरेख में हुआ। मुझे खुश देखने और मेरा ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए जब भी मौका मिलता, बेटी मेरे मोबाइल पर शकीरा या बोनी-एम के वीडियो प्ले कर देती थी। दोनों ही मेरे फेवरिट हैं, लेकिन शकीरा का जबर्दस्त फैन हूं।  जब मैं कोरोना से संघर्ष कर रहा था, तब खुशबू ने मुझे बार-बार चेताया था कि 'डैडी, ये वायरस दिमाग पर असर डालता है, खौफ पैदा करता है। यह एक माइंड गेम है और इसमें आपको जीतना है।' मैं ईश्वर पर भरोसा रखे रहा। इंजेक्शन लगते तब भी भगवान शिव का स्मरण करता, जिससे मुझमें अपार ऊर्जा आ जाती थी। बाॅलीवुड सिंगर  Mika Singh  के भेजे वाॅयस नोट्स भी अक्सर सुनता था, जिसमें उन्होंने कहा था: "आप हमारे बब्बर शेर हो और जल्दी ठीक होकर वापस आओगे।"  इलाज के दौरान मैं अच्छा संगीत बराबर सुनता रहा। सकारात्मक सोच, ईश्वर पर भरोसा, डाॅक्टरों की प्र