संदेश

जुलाई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रुद्राक्ष योगी : संपादन से संन्यास तक

चित्र
फेसबुक पर एक पोस्ट ने यकायक मेरा ध्यान खींच लिया। एक संन्यासी का चेहरा जाना-पहचाना सा लगा। थोड़ा और सर्च की तो अहसास हुआ कि वे माधवकांत मिश्र जी ही थे। हालांकि, संन्यासी के रूप में उनका नाम महामण्डलेश्वर 108 श्री स्वामी मार्तण्डपुरी जी लिखा था। मेरा ध्यान 22 वर्ष पूर्व के काल खंड में चला गया, जब राष्ट्रीय सहारा में वे हमारे संपादक होते थे।  सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय हम सबके बीच नोएडा में ही अधिक रहते थे। सब उन्हें बड़े साहब कहते थे। हमने मिलकर राष्ट्रीय सहारा को सोचा हुआ आकार दिया। सहारा में पारिवारिक माहौल था। काम का उत्साह इतना रहता था कि मैं अवकाश वाले दिन भी दफ्तर पहुंच जाता था। काम में ही आनंद था। काम में ही संतुष्टि थी। ऐसे में माधवकांत जी का विनोदी स्वभाव। अकेले हों, या सबके बीच, सदैव ही हास्य और उमंग का वातावरण बना कर रखते थे।  माधवकांत जी इलाहाबाद से हैं और मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक हूं। एक यह भी संयोग था हमारे बीच। मैं विश्व दर्पण नाम से अंतर्राष्ट्रीय खबरों का पेज बनाता था। यह मेरी पसंद का काम था। तब इंटरनेट नहीं होता था। हम बीबीसी, सीएनएन आदि