गाटा लूप का बोतल वाला भूत

लद्दाख के निर्जन पहाड़। मीलों तक आदमी नहीं। चिड़िया नहीं। जानवर नहीं। बस, आप और सड़क। कहीं-कहीं तो सड़क भी नहीं। सिर्फ ऊबड़-खाबड़ रास्ता।

हिमालय का ठंडा रेगिस्तान। जीवन कठिन है इस भूभाग में। दिन तो खूबसूरत नजारे देखते बीत जाता है। लेकिन रात का क्या ? तब तो डर लगता है। भूत भी दिख सकता है। बशर्ते मन कमजोर हो। ऐसा ही एक स्थान है गाटा लूप। बीस तीखे मोड़ों वाली ऊंची चढ़ाई। मनाली से लेह के रास्ते में। नकीला पास से पहले।


प्लास्टिक की सैकड़ों बोतलों का ढेर। बिस्किट के इक्का-दुक्का पैकेट भी। लाल झंडियों वाली एक गुफा जैसा कुछ। यह बोतल वाले भूत का बसेरा है। या कह लीजिए एक मंदिर। स्थानीय लोगों ने इसे मंदिर जैसा स्वरूप दिया है। हमने ड्राइवर से पूछा बोतलों का राज। पानी की बोतलें। इतनी सारी। आखिर क्यों?

जवाब मिला, यहां एक प्यासा भूत रहता है। रात को गुजरते ट्रक ड्राइवरों को परेशान करता है। इस चक्कर में अनेक हादसे हो चुके हैं। भूत को खुश रखने के लिए ट्रक ड्राइवर यहां मिनरल वाटर की बोतलें रख देते हैं। कभी कभार बिस्किट भी। फिर, वे गुजर जाते हैं यहां से। सुरक्षित।

किस्सा कुछ यूं है। कुछ साल पूर्व एक ट्रक खराब हो गया। गाटा लूप के रास्ते में। घंटों मशक्कत की। परंतु ठीक नहीं हो पाया। रात घिर आयी। बर्फ गिरने लगी। रास्ते बंद हो गये। फिर कोई अन्य ट्रक नहीं गुजरा उधर से। ड्राइवर नजदीक किसी गांव की तलाश में निकल गया। क्लीनर ट्रक की रखवाली के लिए वहीं रुक गया। अगले दिन ड्राइवर लौटा तो क्लीनर को मृत पाया। भूख, प्यास और ठंड ने उसकी जान ले ली थी।

कहते हैं, उसी प्यासे क्लीनर की आत्मा भटकती है यहां। स्थानीय लोगों ने उसकी शांति के लिए एक मंदिर बना दिया उस स्थान पर। मोड़ से गुजरने वाले ट्रक आत्मा की शांति के लिए पानी की बोतलें रख जाते हैं यहां। लद्दाख में ऐसे किस्से कम नहीं।



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