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इतना आसान नहीं है पेड़ पर चढ़ना

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पेड़ पर चढ़ना आसान है लेकिन उतरना मुश्किल. विश्वाश न हो तो आजमा कर देख लीजिये. बचपन में मेरी गर्मियों की छुट्टियाँ गाँव में बीतती थीं. डेढ़ महीना गाँव में गुजारना आसान न होता था. ग्रामीण  बच्चों के साथ मैं बाग़ की ओर निकल जाता था. दोपहरी भर हम पेड़ों पर चढ़ते उतारते रहते और मस्ती करते.  घर में ही गूलर का एक पेड़ था. गूलर के बारे में कहा जाता है की इसकी लकड़ी बेहद कमज़ोर होती है. ज़रा सा दबाव पड़ते ही टूट जाती है. इसके फल लाल रंग के होने पर बड़े मीठे हो जाते हैं. हम बच्चे इसे चाव से खाते थे. पकी गूलर तोड़ने के लिए मई ऊपर चढ़ता गया. गुच्छे की ओर हाथ बढाया ही था कि न जाने कहाँ से चीतों की फौज ने हमला बोल दिया. मैं संभल पाता कि  चीतों ने काटना शुरू कर दिया. हवा तेज थी और चिकनी गूलर से नीचे उतरना इतना आसान न था. यह चित्र सुखना वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी का है. अब तो पेड़ पर चढ़ना बेहद रिस्की लगता है. 

रचनात्मकता का अपना ही आनंद है

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रचनात्मक होना अपने आप में एक बेहतरीन अनुभव है. कहते हैं कि रचनात्मक होना कुछ हद तक ईश्वर होने जैसा है. इनोवेटिव होना एक बड़ी ताकत है. मैं तो इसे अपनी एक बड़ी शक्ति मानता हूँ. इस तरह आप कुछ नया कर पाते हैं और प्रतियोगिता से भी चार कदम आगे रहते हैं.   कुछ नया रचना या बनाना एक अच्छा शौक भी हो सकता है. बिजनेस में यह गुण एक अतिरिक्त योग्यता जैसा है. एक छात्र इस शौक से अपनी कक्षा में बाकी स्टुडेंट्स  से आगे रह सकता है. एक स्त्री इस गुण को अपने व्यवसाय में तब्दील कर सकती है. यह चित्र एक एनीमेशन स्कूल का है.

समंदर की लहरों पे ज़िन्दगी

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मैदान के लोग रोजमर्रा की ज़िन्दगी में समंदर की विशालता और उसकी मस्ती के बारे में उतना नहीं जानते जितना की बोम्बे के लोग समझ पाते हैं. मैं जब भी मुंबई जाता हूँ तो समंदर में कुछ वक़्त बिताने का कोई मौका नहीं छोड़ता. पिछली बार मैं अपने कुछ बिसनेस फ्रेंड्स के साभ जुहू के एक शानदार होटल में रुका था. कामकाज से फुर्सत मिलने पर मैंने एलिफेंटा केव्स चलने का प्रस्ताव रखा तो सब ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गए.  गेटवे ऑफ इंडिया से हमने मोटरबोट ली और हो लिए सवार समंदर की लहरों पे. एलिफेंटा केव्स मुंबई से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हैं. यह एक पर्यटन स्थल है जहां प्रतिदिन भारी संख्या में सैलानी पहुँचते हैं. हमारे पास समय कम था इसलिए वहाँ घूमने की बजाय हम तत्काल ही वापस लौट पड़े. वापसी में हवा का रुख हमारी तरफ था, इसलिए बोट हिचकोले लेने लगी. मैं एकदम आगे जाकर लहरों की उछलकूद का आनंद लेता रहा.