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गोबर के कन्हैया, अन्नकूट के पहाड़

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गोवर्धन पूजा। अन्नकूट। आज है। कन्हैया ने गोवर्धन पर्वत उठाया। छोटी उंगली पर। भारी बारिश से प्रजा की रक्षा हेतु। भागवत पुराण में वर्णन है। वल्लभ सम्प्रदाय के लिए पूजा का खास दिन।  Lord Krishna raising the Govardhan Parvat on his finger. (Source: Unknown) अन्नकूट यानी प्रभु को भोजन के पहाड़ समर्पित करना। धन्यवाद करने की एक विधि। आपने हमें भोजन दिया, उसके लिए धन्यवाद। स्वामीनारायण सम्प्रदाय के लिए महत्वपूर्ण दिन। गौड़ीय सम्प्रदाय के लिए भी।  हम भी बनाते थे गोबर से भगवान के विविध रूप। आंगन में सजाते थे। गांवों में अब भी होता है ऐसा। बाजार की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं। होगी भी क्यों। गोबर कितने में बिकेगा। शॉपिंग माल में तो हर्गिज नहीं। फिर क्यों मनायें। इसीलिए शहरी लोग कम ही जानते हैं इसे।  मुझे याद है। मां गोबर से घर लीपती थीं। गांव के घर का कच्चा फर्श। पीली मिट्टी मिलाते थे गोबर में। फर्श पर निखार आ जाता था। पीला मिट्टी लेने मैं भी जाता था बड़ों के साथ। बैलगाड़ी में बैठकर। अच्छे दिन थे वे। सरल जीवन। परम्पराओं का निर्वाह। आपसी मेलजोल। भाईचारा। याद है सब। परम्पराएं हमें जीव