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लेह की बात ही कुछ और है

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लेह लदाख के बारे में पहले मैं अधिक नहीं जानता था. गत वर्ष नवम्बर में एक पत्रकार मित्र, वंदना शुक्ला, के आग्रह पर मैं एक बौद्ध भिक्षुक भिक्षु संघसेना से चंडीगढ़ के होटल पिकाडिली में मिला. वे महाबोधि इंटर्नेशनल मेडिटेशन सेंटर, लेह-लदाख के संस्थापक निदेशक हैं.  यह संस्थान लदाख क़ी गरीब व अनाथ लड़कियों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. लेह स्थित महाबोधि स्कूल से दसवीं करने के बाद इन बच्चों को आगे पढने में प्रोब्लम थी. सो गुरूजी ने चंडीगढ़ में एक गर्ल्स होस्टल खोल दिया. तीस से अधिक लड़कियां रामगढ़ स्थित इस हॉस्टल में रह कर चंडीगढ़ पंचकुला के कॉलेजों में स्टडी कर रही हैं. इस वर्ष इनकी संख्या पचास से अधिक हो जाएगी. गत अप्रेल में मुझे लेह जाने का अवसर मिला. ब्रिटिश सिंगर मिली मूनस्टोन एवं उनके वकील दोस्त अर्जेंटीना निवासी अलेजांद्रो ग्रिसोसकी भी साथ थे. सड़क मार्ग पर बर्फ जमा थी, इसलिए हम दिल्ली से गोएयर क़ी फ्लाईट से लेह पहुंचे. वहां बर्फ से लदे ऊँचे पहाड़ देखकर मजा आ गया. अदभुत नज़ारा था. ऊँचे पहाड़ पर चढ़ कर हमने फोटोग्राफी क़ी और खूब मज़े किये. जल्द ही फ