क्या लिखूं आज? जाम लगा है।

इतना कुछ हो रहा है। कुछ भी नहीं हो रहा। समय बदल रहा है। सब रुका पड़ा है। चुटकी बजाते चीजें हाजिर हैं। नहीं मिलतीं, यही तो दिक्कत है। पैसा बहुत है इस देश में। बस पैसा ही तो नहीं है। जो चाहो वो खा लो। जहर मिला है हर चीज में। दूध, सब्जी, फल खाने चाहिए। क्यों, जहरीले हैं इसलिए? गरमी रिकॉर्ड तोड़ रही है। तो क्या, कोक पेप्सी है न। पियो, फिर डाइबिटीज झेलो। कैंसर भी तो चलन में है। 

बाजार पटे हैं कैंसर की चीजों से। हर चीज में कैमिकल। हर चीज से कैंसर। अखबार यही बताते हैं। उधर इनके विज्ञापन भी छापते हैं। तभी तो अखबारों पर संकट है। सोशल मीडिया सब खा गया। सबके हिस्से की खबर। सबके हिस्से का ज्ञान। सब ज्ञानी हैं। डाइबिटीज और मोटापे से परेशान भी। देखा-देखी में करते हैं शॉपिंग। शान बघारने को। नकली खाना। नकली जिंदगी। असली रोग। असली झगड़े। 

क्यों नहीं होते शांत? कश्मीर से पूछते हो? भई, सीएम हो तो महबूबा मुफ्ती जैसी। कोई काम ही नहीं। हर काम पत्थरबाज करते हैं। पैसे मिलते हैं न। घर चलता है। सरकार कौन सा जॉब दे रही है? कामधंधे की जगह सेना लगा दी। अबदुल्ला के पास सॉल्युशन है। खाक सॉल्युशन है। कहते हैं पत्थर मारना जायज है। इनके बेटे का किस्सा याद है? जब बाढ़ आयी थी। बोला- मेरी सरकार किधर गयी, पता नहीं। सेना न बचाती तो सॉल्युशन हो जाता। कोई बचता ही नहीं। बिहार से भेजने पड़ते बंदे। कश्मीर में लिट्टी चोखा खाने। 

क्या होगा कश्मीर का? वेट एंड वाच। अभी तो जो चल रहा है, यूपी में चल रहा है। क्या, फॉग? नहीं जी, योगी। सीएम हो तो ऐसा। और बाबा हो तो रामदेव जैसा। कोई लोड ही नहीं, किधर है देश, किधर कश्मीर। गाय का घी खाओ, दंत कांति से चमकाओ। हर खबर बाबा से शुरू होती है। और बाबा पर खतम। एक भी न्यूज चैनल नहीं जो बाबा के  बिना दुकान चला लेे। हरि बोल। इतना कुछ कह लिया, पर सवाल वही बचा है। ब्लॉग में क्या लिखूं आज? 

Contact: Narvijay Yadav, Email: narvijayindia@gmail.com

टिप्पणियाँ

  1. ब्लॉग होता ही गड्ड मड्ड विचार संजोने के लिए। यह लेखन से बेहतर लेखन है!

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