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जनवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जो जिया वही सिकंदर

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कुछ भी कर लो। जीवित तो कोई नहीं जा पाया। न राम, न ईसा, न अकबर। न इंदिरा, न गांधी, न अम्मा। हर कोई नॉमिनेट हुआ है यहां। कोई न कोई एविक्ट भी हुआ है यहां। फिर हेकड़ी कैसी। सुप्रीमो हो या मुखिया। एम्बेसडर हो या जिप्सी। पॉपिन्स हो या लूना। योयो हो या गोविंदा। कौन बचा है वक्त की मार से। किन रिश्तों की दुहाई देते हो। यहां तो नाक नाक की नहीं। बाबरी राम की नहीं। ममता काम की नहीं।  तभी तो, लाइफ को सीरियसली नहीं लेने का। बात को दिल से नहीं लगाने का। उकसाने पर रिएक्ट नहीं करने का। मामलों को शांति से निबटाने का। तन-धन का घमंड नहीं करने का। दुर्घटना जान ले सकती है। नोट रद्दी हो सकते हैं। मौसम दगा दे सकता है। बाजार मंदा हो सकता है।  दिस टू विल पास। वक्त तो बदलता रहता है। कुछ भी तो स्थायी नहीं। कुछ भी परमानेंट नहीं। फिर चिंता किस बात की। यह घर। यह ऑफिस। यह देश। यह दुनिया। सब बिग बॉस हाउस जैसा ही तो है। कोई छेड़ता है। कोई छोड़ता है। कोई रुलाता है। कोई सताता है। कोई दोस्ती जताता है। कोई उकसाता है। कोई मजे लेता है। बचे रहने का फंडा वही है। खेल भावना से खेलो। अपने आप पर भरोसा रखो।  सुबह की शुरु

बिग बॉस शो के बारे में 16 दिलचस्प बातें

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बिग बॉस एक ऐसा दिलचस्प रिएलिटी शो है जिसका सबको पूरे साल इंतजार रहता है। इसका दसवां सीजन समापन की ओर बढ़ रहा है। आइए जानें इस शो से जुड़े 16 दिलचस्प तथ्य। Lopamudra - Darling of the House 1. बिग बॉस के घर की साफ-सफाई और भोजन पकाने का काम बाकायदा फुलटाइम स्टाफ द्वारा किया जाता है। घर में मौजूद सदस्य सिर्फ नाम के लिए थोड़ा सा काम करते हुए दिखाये जाते हैं। 2. वीकेंड का वार दिखाने से पहले सलमान खान को पूरे सप्ताह की डीवीडी भेजी जाती है। कहा जा रहा है कि प्रति एपिसोड के लिए सलमान को 6 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है। 3. घर में अंदर-बाहर कुल 80 कैमरे लगे हैं। किसी भी रिएलिटी शो में यह सबसे अधिक संख्या है। घर में प्यार, लड़ाई और सलमान खान के बारे में पर्सनल बातें जैसा बहुत कुछ ऐसा भी होता रहता है, जो आपको दिखाया नहीं जाता। दर्शकों को सिर्फ सम्पादित अंश ही दिखाये जाते हैं। 4. बताया जाता है कि जिन सदस्यों को अल्कोहाल चाहिए होता है, उन्हें जूस में मिलाकर यह दिया जाता है, जिसे वे अपने सिपर से पीते रहते हैं। Salman Khan - Face of the Show 5. बिग बॉस का घर मुंबई स

बेटी, मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूं

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कल एक फोन आया। करीब तीस साल बाद सुनी वो आवाज। तब वेे जिला सूचना अधिकारी हुआ करते थे मेरे शहर में। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे मैंने अपने एक मित्र के साथ मिलकर अपने स्कूल में एक प्रदर्शनी लगायी थी- "अखबार और तकनीक" विषय पर।  वे मुख्य अतिथि थे।  उनके हिसाब से देश में शायद अपनी तरह का पहला आयोजन था वो। सब कुछ रील की तरह घूम गया दिमाग में।  औपचारिक बातचीत के बाद उन्होंने बड़े ध्यान से बेटियों से जुड़ा एक अच्छा संदेश दिया। मन को छू गयी वो बात। बोले, हर पिता को अपनी बेटी से यह अवश्य कहना चाहिए कि-  "बेटी, मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूं। तुम्हारे हर सही-गलत निर्णय में तुम्हारे साथ हूं। तुम जो करना चाहोे। मैं हमेशा तुम्हारी ताकत बनकर रहूंगा। मैं इस घोंसले में तुम्हारी ताकत हूं ।  जब तुम दूर चली जाओगी, तुम्हारा नया घोंसला होगा, तब भी मैं तुम्हारी ताकत रहूंगा। बेटी मैं सदैव तुम्हारे साथ हूं और  हमेशा तुम्हारी ताकत  रहूंगा।" सच में, एक पिता के तौर पर बेटियों को यदि यह अहसास कराया जाये कि वे कभी भी अकेली नहीं हैं, तो उनका मनोबल बढ़ा रहेगा। वे अपने सपने पूरे कर पा