टीवी वाले अंकल और स्कूल वाली आन्टी से एक सवाल
भारतीय शिक्षा प्रणाली में पहले कमियां थीं, जो आज और अधिक हो गयी हैं। तीस साल पहले पढ़ाई के विकल्प सीमित थे; आज व्यापक हैं, लेकिन शिक्षा का स्तर गिर चुका है। स्कूलों से निकलने वाले एक ओर ऐसे छात्र हैं जो टॉपर हैं, तो दूसरी ओर भारी तादाद ऐसे छात्रों की है, जो किसी काम के नहीं हैं। न उन्हें सिर का पता है, न पैर का। व्यावहारिक ज्ञान की जो अनिवार्य डोज हर किसी को चाहिए, वो अधिकांश छात्रों को मिल ही नहीं रही। सरकारी स्कूलों में लापरवाही का रवैया है, तो निजी विद्यालयों का मकसद पैसा कमाना रह गया है। कोई नहीं पूछता विद्यार्थिंयों से कि आगे जीवन में उन्हें किस तरह की नॉलेज चाहिए होगी। सामान्य ज्ञान का एक निश्चित स्तर तो हर छात्र के लिए अनिवार्य होना ही चाहिए। व्यवहार गणित, भाषा पर पकड़, सामान्य बुद्धि और सामान्य ज्ञान हर किसी को चाहिए ही चाहिए। चाहे उसे लिपिक बनना हो या अधिकारी, अपना व्यवसाय करना हो या नौकरी। स्कूल, कॉलेज ढीले पड़े हैं, दूसरी ओर तकनीक तरक्की पर है। बच्चों के हाथों में कम्प्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन आ गये हैं। गूगल की शक्ति है, परंतु खुद की नॉलेज नहीं है। अंग्रेजी स