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जून, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

टीवी वाले अंकल और स्कूल वाली आन्टी से एक सवाल

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भारतीय शिक्षा प्रणाली में पहले कमियां थीं, जो आज और अधिक हो गयी हैं। तीस साल पहले पढ़ाई के विकल्प सीमित थे; आज व्यापक हैं, लेकिन शिक्षा का स्तर गिर चुका है। स्कूलों से निकलने वाले एक ओर ऐसे छात्र हैं जो टॉपर हैं, तो दूसरी ओर भारी तादाद ऐसे छात्रों की है, जो किसी काम के नहीं हैं। न उन्हें सिर का पता है, न पैर का। व्यावहारिक ज्ञान की जो अनिवार्य डोज हर किसी को चाहिए, वो अधिकांश छात्रों को मिल ही नहीं रही। सरकारी स्कूलों में लापरवाही का रवैया है, तो निजी विद्यालयों का मकसद पैसा कमाना रह गया है। कोई नहीं पूछता विद्यार्थिंयों से कि आगे जीवन में उन्हें किस तरह की नॉलेज चाहिए होगी। सामान्य ज्ञान का एक निश्चित स्तर तो हर छात्र के लिए अनिवार्य होना ही चाहिए। व्यवहार गणित, भाषा पर पकड़, सामान्य बुद्धि और सामान्य ज्ञान हर किसी को चाहिए ही चाहिए। चाहे उसे लिपिक बनना हो या अधिकारी, अपना व्यवसाय करना हो या नौकरी। स्कूल, कॉलेज ढीले पड़े हैं, दूसरी ओर तकनीक तरक्की पर है। बच्चों के हाथों में कम्प्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन आ गये हैं। गूगल की शक्ति है, परंतु खुद की नॉलेज नहीं है। अंग्रेजी स

सुबह की शांति और कैमरे की क्लिक

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सवेरे जल्दी उठने की सलाह हर कहीं से मिलती रही है। बचपन से ही। ब्रह्मचर्य की एक पुस्तक पढ़कर तब कुछ दिन ब्रह्म-मुहूर्त में उठना शुरू भी किया था। पर वो सब अधिक दिन नहीं चल पाया। पत्रकारिता के दिनों में देर रात तक अखबार के दफ्तर में जागना और सुबह देर से उठना - एक नियम बन गया था यह। वह आदत मानो मेरे जीन्स में समा गयी।  आज भी देर तक जागना और देर से उठना, यही चलता आ रहा है। वैसे आज की पूरी जैनरेशन में देर रात तक इंटरनेट, चैटिंग, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि में लगे रहना आम बात है। इसे ही कूल माना जाता है। इंटरनेट जैनरेशन के मित्रों का दायरा भी दुनिया भर में फैला होता है। भारत में जब रात होती है, यूरोप और अमेरिका में तब दिन होता है। जाहिर है, वहां बैठे दोस्तों से बतियाने के लिए तो रात में ही चैट करनी होगी। यह बात पुरानी जैनरेशन के लोग भला कैसे समझ पायेंगे।  देर तक सोने के बहाने चाहे जो बनाये जायें, सच तो यह है कि सुबह-सुबह उठने में आनंद बहुत है। सूरज उगने से पूर्व वायुमंडल में जो शीतलता, शांति और सुकून होता है, वो पूरे दिन नहीं मिलता। चंडीगढ़ की तेज रफ्तार सड़कें भी सुबह को खाली-खाली और श