संदेश

अगस्त, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मानसून में ऋषिकेश

चित्र
मानसून के दौरान इस साल भी उत्तराखंड जाने का मन किया। बैग पैक किया और पहुंच गया मैं ऋषिकेश। गंगा का आकर्षण ही प्रमुख है, सो फिर से संत सेवा आश्रम को चुना। रूम भी वही पसंद किया, जिसमें पिछले दो वर्षों से निरंतर रुकता आया हूं। सेकेंड फ्लोर के कोने वाले कमरे से गंगा का विहंगम दृश्य दिखता है। लक्ष्मण झूला की आवाजाही भी साफ नजर आती है। फर्क सिर्फ यह रहा कि इस बार मेरे रूम के बाहर बंदरों की जगह लंगूर आते रहते थे। सुना है लंगूर ज्यादा खतरनाक होते हैं और अपनी पूंछ व दांतों से वार करते हैं। इस नाते दरवाजा दोनों तरफ से लॉक रखना पड़ा। हां, खिडक़ी में जाली लगी होने के कारण बाहर का नजारा और हवा में कोई रुकावट नहीं थी। पहला दिन तो लैपटॉप पर हिंदी अनुवाद करते बीता। शाम होते ही बादल घिरने लगे थे। सुना था ऋषिकेश में रोज बारिश होती है। अनुभव भी किया। सूर्य ऊपर होने के बावजूद अंधेरा सा छाने लगा। सामने तपोवन के ऊपर पहाडिय़ों पर काले सफेद बादलों ने दिलकश मंजर पेश किया। ऐसे बादल चंडीगढ़ या दिल्ली जैसे शहरों में हमें दिखाई नहीं देते। बचपन में गांवों के खुले आकाश में प्रकृति के जो नजारे दिखते थे, वे शहर

बेटियों से सवाल, और बेटों को खुला छोड़ दिया है?

चित्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल देश के माता-पिताओं से पूछा है। दुष्कर्म की घटनाओं से सिर शर्म से झुक जाता है, यह कहने के बाद उन्होंने कहा कि सवाल सिर्फ बेटियों से ही क्यों? कहां जा रही हो? कब आओगी? क्यों जा रही हो? कभी बेटों से सवाल करने की हिम्मत की है कि बेटा कहां थे रात भर? कुछ गलत तो नहीं कर रहे हो? ऐसा नहीं है तभी तो दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं? बेटों को शिक्षा, संस्कार और चरित्र का पाठ घर से ही पढ़ाया जाना चाहिए। परंतु ऐसा हो नहीं रहा है। यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर अक्सर कम अक्ल नेता बेहूदे बयान देते रहते हैं। कोई कहता है कि लडक़े तो लडक़े हैं, तो कोई कहता है कि लड़कियों को कैसे कपड़े पहनने चाहिए। ऐसे बुद्धिहीन और चरित्रहीन पुरुषों के कारण ही अपराध बढ़ रहे हैं। मोदी पहले ऐसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारी के प्रति आगाह किया है। जिन्होंने स्त्रियों के सम्मान और स्वतंत्रता की सही मायने में व्याख्या की है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर देश वासी को संकल्प लेना चाहिए कि वो महिलाओं के सम्मान की खातिर जहां ह