जो जिया वही सिकंदर

कुछ भी कर लो। जीवित तो कोई नहीं जा पाया। न राम, न ईसा, न अकबर। न इंदिरा, न गांधी, न अम्मा। हर कोई नॉमिनेट हुआ है यहां। कोई न कोई एविक्ट भी हुआ है यहां। फिर हेकड़ी कैसी। सुप्रीमो हो या मुखिया। एम्बेसडर हो या जिप्सी। पॉपिन्स हो या लूना। योयो हो या गोविंदा। कौन बचा है वक्त की मार से। किन रिश्तों की दुहाई देते हो। यहां तो नाक नाक की नहीं। बाबरी राम की नहीं। ममता काम की नहीं। 
तभी तो, लाइफ को सीरियसली नहीं लेने का। बात को दिल से नहीं लगाने का। उकसाने पर रिएक्ट नहीं करने का। मामलों को शांति से निबटाने का। तन-धन का घमंड नहीं करने का। दुर्घटना जान ले सकती है। नोट रद्दी हो सकते हैं। मौसम दगा दे सकता है। बाजार मंदा हो सकता है। 

दिस टू विल पास। वक्त तो बदलता रहता है। कुछ भी तो स्थायी नहीं। कुछ भी परमानेंट नहीं। फिर चिंता किस बात की। यह घर। यह ऑफिस। यह देश। यह दुनिया। सब बिग बॉस हाउस जैसा ही तो है। कोई छेड़ता है। कोई छोड़ता है। कोई रुलाता है। कोई सताता है। कोई दोस्ती जताता है। कोई उकसाता है। कोई मजे लेता है। बचे रहने का फंडा वही है। खेल भावना से खेलो। अपने आप पर भरोसा रखो। 

सुबह की शुरुआत खुश होकर करो। एक-एक कदम आगे बढ़ो। दिन को एंजॉय करो। लाइफ गोज ऑन। जीवन चलता रहता है। गंगा बहती रहती है। खबरें आती रहती हैं। कलेंडर बदलते रहते हैं। तारीखें खत्म नहीं होतीं। समय ठहरता नहीं। जीवन रुकता नहीं। मन टिकता नहीं। 

फंडा यही है कि हर पल जियो। खुशियां बांटो। मिल कर चलो। सपने देखो। आगे बढ़ो। दिल पर मत लो। शुक्रगुजार रहो। खुश रहो। क्योंकि, जो गहरा वही समंदर। जो जिया वही सिकंदर।  

Twitter @NarvijayYadav  / Email: narvijayindia@gmail.com

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