बेटी, मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूं

कल एक फोन आया। करीब तीस साल बाद सुनी वो आवाज। तब वेे जिला सूचना अधिकारी हुआ करते थे मेरे शहर में। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे मैंने अपने एक मित्र के साथ मिलकर अपने स्कूल में एक प्रदर्शनी लगायी थी- "अखबार और तकनीक" विषय पर। वे मुख्य अतिथि थे। उनके हिसाब से देश में शायद अपनी तरह का पहला आयोजन था वो। सब कुछ रील की तरह घूम गया दिमाग में। 


औपचारिक बातचीत के बाद उन्होंने बड़े ध्यान से बेटियों से जुड़ा एक अच्छा संदेश दिया। मन को छू गयी वो बात। बोले, हर पिता को अपनी बेटी से यह अवश्य कहना चाहिए कि- 

"बेटी, मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूं। तुम्हारे हर सही-गलत निर्णय में तुम्हारे साथ हूं। तुम जो करना चाहोे। मैं हमेशा तुम्हारी ताकत बनकर रहूंगा। मैं इस घोंसले में तुम्हारी ताकत हूं जब तुम दूर चली जाओगी, तुम्हारा नया घोंसला होगा, तब भी मैं तुम्हारी ताकत रहूंगा। बेटी मैं सदैव तुम्हारे साथ हूं और हमेशा तुम्हारी ताकत रहूंगा।"

सच में, एक पिता के तौर पर बेटियों को यदि यह अहसास कराया जाये कि वे कभी भी अकेली नहीं हैं, तो उनका मनोबल बढ़ा रहेगा। वे अपने सपने पूरे कर पायेंगी। अपना मनपसंद कैरियर और काम चुन पायेंगी। अपनी पसंद की शिक्षा ले पायेंगी। पसंद का जीवन जी पाएंगी। वे सशक्त रहेंगी। फिर देश व मानवता की ताकत बनेंगी। दूसरी लड़कियों की प्रेरणा बनेंगी।

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