बेटियों से सवाल, और बेटों को खुला छोड़ दिया है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल देश के माता-पिताओं से पूछा है। दुष्कर्म की घटनाओं से सिर शर्म से झुक जाता है, यह कहने के बाद उन्होंने कहा कि सवाल सिर्फ बेटियों से ही क्यों? कहां जा रही हो? कब आओगी? क्यों जा रही हो? कभी बेटों से सवाल करने की हिम्मत की है कि बेटा कहां थे रात भर? कुछ गलत तो नहीं कर रहे हो? ऐसा नहीं है तभी तो दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं? बेटों को शिक्षा, संस्कार और चरित्र का पाठ घर से ही पढ़ाया जाना चाहिए। परंतु ऐसा हो नहीं रहा है।

यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर अक्सर कम अक्ल नेता बेहूदे बयान देते रहते हैं। कोई कहता है कि लडक़े तो लडक़े हैं, तो कोई कहता है कि लड़कियों को कैसे कपड़े पहनने चाहिए। ऐसे बुद्धिहीन और चरित्रहीन पुरुषों के कारण ही अपराध बढ़ रहे हैं। मोदी पहले ऐसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारी के प्रति आगाह किया है। जिन्होंने स्त्रियों के सम्मान और स्वतंत्रता की सही मायने में व्याख्या की है।



स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर देश वासी को संकल्प लेना चाहिए कि वो महिलाओं के सम्मान की खातिर जहां है और जिस भी भूमिका में है, हर कहीं चौकस रहेगा और महिलाओं के प्रति कहीं अत्याचार की बात उठते ही विरोध में आवाज मुखर करेगा। हम सभी का कर्तव्य है कि अपने बच्चों के साथ समान व्यवहार करें और लडक़ों मेें खास तौर पर महिलाओं का सम्मान करने के संस्कार भरें।

कहा जाता है कि पहला विद्यालय घर ही होता है। विशेष तौर पर चरित्र की शिक्षा बच्चा अपने घर से ही लेकर बड़ा होता है। वो अपने पिता को देखता है और मां की बातों पर गौर करता है। इसलिए हर माता-पिता का यह दायित्व बनता है कि बेटों को सुशिक्षित करें और उसके चरित्र को संवारने पर खास ध्यान दें। उसे लड़कियों के प्रति संवेदनशील और शिक्षित बनाएं। उसे महिलाओं का हर परिस्थिति में सम्मान करना सिखाएं। ऐसा होने पर देश में शांति, अमन और खुशहाली का वातावरण बनेगा। देश तभी आगे बढ़ेगा, जो सबके हित में होगा। 

Contact: Narvijay Yadav, narvijayindia@gmail.com

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बदायूं का पेड़ा जो छह महीने तक फ्रेश रहता है

शानदार रहा न्यूज इंडस्ट्री में 33 वर्षों का सफर

सोशल मीडिया पर रुतबा कायम रखना आसान नहीं